‘अलग रहो, अलग रहो, अलग रहो, अलग रहो’
शंख घोष ने अपने नाम के बिल्कुल उलट जाकर अपने कविता-संसार में मौन को प्रमुखता दी है। वह शोर के प्रति निर्विकार और उससे निश्चिंत रहे आए। यह कृत्य उनके लिए एक बेहतर मनुष्य बनने की प्रक्रिया-सा रहा।
अच्छी कहानी वही है दोस्तों जिसके किरदार कुछ अप्रत्याशित काम कर जाएँ। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि नरेशन अच्छा हो तो झूठी कहानियों में भी जान फूँकी जा सकती है। यह भी कि अगर आपके पास कहानी है तो सबसे पहले कह डालिए।
शंख घोष ने अपने नाम के बिल्कुल उलट जाकर अपने कविता-संसार में मौन को प्रमुखता दी है। वह शोर के प्रति निर्विकार और उससे निश्चिंत रहे आए। यह कृत्य उनके लिए एक बेहतर मनुष्य बनने की प्रक्रिया-सा रहा।
चारपाई दरअस्ल चारपाई नहीं होती। उसके साथ एक दर्शन जुड़ा रहता है। उसका अपना इतिहास है और उसकी एक ऐतिहासिक भूमिका है। यह भारत का एक अद्भुत आविष्कार है। यह काष्ठ शिल्पकारों के उस ‘नॉलेज’ की जीवंत और साहस-गाथा है, जिसने ‘सुख’ और ‘ज्ञान’ को ब्राह्मणों के एकाधिकार से मुक्ति दिलाने का ऐतिहासिक काम किया।
भावुक कविताएँ चिल्लर संवेदना की अपेक्षा रखती हैं : दाता मुक्त, याचक ख़ुश। दोनों की अवस्थिति यथास्थिति बनी रहती है।
भीगी मिट्टी की मादक ख़ुशबू ने नासिका-द्वार से घ्राणेंद्रिय पर और पक्षियों के कलहनुमा कलशोर ने कानों के परदों के मार्फ़त श्रवणेंद्रिय पर दस्तक देकर सुबह-सुबह हमें नींद-मुक्त किया। रात भर मेह बरसा था और नभ अब भी मेघाच्छादित था।
स्कूल और कॉलेज तक मैंने हिंदी को सिर्फ़ उतना ही पढ़ा जितना हमें पढ़ाया गया और जितने की ज़रूरत उस समय महूसस होती थी या यूँ कह लीजिए पेपर में लिखने मात्र के लिए जितने की ज़रूरत पड़ती थी।
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