सचाई कहाँ है—मैं आज तक नहीं समझ पाया
मैं उस मृत्यु के बारे में अक्सर सोचता हूँ जो क्षण-क्षण घटित हो रही है, हम में, तुम में, सब में। मृत्यु शायद किसी एक अमंगल क्षण में घटित होने वाली विभीषिका नहीं है। वह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
अच्छी कहानी वही है दोस्तों जिसके किरदार कुछ अप्रत्याशित काम कर जाएँ। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि नरेशन अच्छा हो तो झूठी कहानियों में भी जान फूँकी जा सकती है। यह भी कि अगर आपके पास कहानी है तो सबसे पहले कह डालिए।
मैं उस मृत्यु के बारे में अक्सर सोचता हूँ जो क्षण-क्षण घटित हो रही है, हम में, तुम में, सब में। मृत्यु शायद किसी एक अमंगल क्षण में घटित होने वाली विभीषिका नहीं है। वह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
‘सैक्रिफ़ाइज़’ तारकोवस्की की आख़िरी फ़िल्म साबित हुई। एक हफ़्ते बाद जब अवार्ड सेरेमनी में तारकोवस्की का नाम लिया गया, तो उनका चौदह-पंद्रह साल का बेटा अन्द्रिउश्का (Andriushka) मंच पर गया। यह फ़िल्म अन्द्रिउश्का को ही समर्पित थी
ज़िंदगी हमारी सोच के परे चलती है, यह बात हम जितनी जल्दी समझ लेते हैं, उतना ही हमारे लिए अच्छा होता है। हर बार आपकी बनाई हुई योजना काम कर जाए ऐसा नहीं होता… कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ।
कविताओं का सौंदर्यात्मक उद्भास दुनिया से हमारे नए संबंध-संयोजन को जन्म देता चलता है। अवलोकन बाह्य जगत के साथ अपनी अनुभूतियों और वृत्तियों का भी होता है। बाह्य जगत का अवलोकन फिर भी आसान है, आत्मावलोकन सबसे कठिन है। हम अपनी इच्छाओं की पूर्ति में ही इच्छाओं की सार्थकता समझते हैं।
मध्यमवर्गीय आदमी की कविता और मासिक बिल में हमेशा एक अतिरिक्त उभर आता है या छूट जाता है। कवि का एक संसार होता है, आदमी का दूसरा।
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