‘कितना संक्षिप्त है प्रेम और भूलने का अरसा कितना लंबा’
प्रिय नेरूदा,
तुम कविता की दुनिया में एक चमकता सितारा हो, जिसे एक युवा दूर पृथ्वी से हमेशा निहारता रहता है। उसकी इच्छा है कि उसके घर की दीवारें तुम्हारी तस्वीरों से भरी हों। भविष्य की उसकी यात्राओं में चिली का पराल शहर शामिल है, जहाँ तुम जन्मे। वह सैंटियागो की गलियों में इसलिए घूमना चाहता है, क्योंकि उसका महबूब कवि अपने अंतिम दिनों में यहाँ भटका था। वह उन दीवारों को कान लगाकर सुनना चाहता है, जहाँ तुमने अपनी प्रेमिका माटिल्डा का नाम पुकारा होगा। माटिल्डा के लिए लिखी तुम्हारी कविता finale को वह बार-बार पढ़ना चाहता है। इस कविता को तुमने अपने अंतिम दिनों में लिखा था—जब तुम कैंसर से जूझ रहे थे और हर दिन ख़ून उगलता तुम्हारा शरीर बदहवास पड़ा रहता था… तब तुमने लिखा :
It was beautiful to live
when you lived!
The world is bluer and of the earth
at night, when I sleep
enormous, within your small hands.
वर्ष 1971 में जब तुम नोबेल पुरस्कार लेने पहुँचे तो पत्रकारों ने तुमसे पूछा था : ‘‘सबसे सुंदर शब्द क्या है?’’
तुमने जवाब में कहा : ‘‘इसका घिसा-पिटा एक ही उत्तर है—प्रेम। इसका आप जितना इस्तेमाल करते हैं, यह उतना ही मज़बूत हो जाता है। इस शब्द से कोई हानि नहीं पहुँचती।’’
यह जवाब वही दे सकता है, जिसने यह पंक्ति लिखी हो :
love is so short, forgetting is so long
कितना संक्षिप्त है प्रेम और भूलने का अरसा कितना लंबा
नेरूदा, तुम उसके स्याह दिनों के साथी रहे। जब उसके मन पर प्रेम में असुरक्षा का भावबोध गहराता, वह तुम्हारी लिखी ये कविता-पंक्तियाँ पढ़ता :
…Come with a man/on your shoulders.
Bring them all/to where I am waiting for you; we shall always be alone, we shall always be you and I alone on earth, to start our life!
ये पंक्तियाँ उसके मन में जन्मे लिजलिजे विचार, कीचड़ से सने उसके मन को धोतीं-सुखातीं और तुम्हारी ही इन पंक्तियों के बीच (I love you as the plant that never blooms/but carries in itself the light of hidden flowers) रख छोड़तीं।
सिर्फ़ कविताएँ ही नहीं तुम्हारा व्यक्तित्व भी उसे हमेशा प्रभावित करता रहा।
तुम कवि, कूटनीतिज्ञ, कम्युनिस्ट, सीनेटर, चिली के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, लंबे अरसे तक निर्वासित एक राजनीतिज्ञ और शरणार्थी भी थे। कहा जाता है कि तुम पर जितनी पाबंदियाँ लगीं, उतना ही तुम्हारा निजी संसार विस्तृत होता चला गया। तुम्हें जितना क़ैदख़ाने में रखने की कोशिश की गई, उतना ही तुम आजाद रहे। क्रांति के तुम्हारे सफ़र में पाब्लो पिकासो, आर्थर मिलर, लोर्का, नाज़िम हिकमत तुम्हारे साथी और तुम्हारी आवाज़ रहे।
जब एक इंटरव्यू में तुमसे पूछा गया : ‘‘जब आप चिली के राष्ट्रपति बन जाएँगे, तब भी क्या आप लिखते रहेंगे?’’
तुमने कहा था : ‘‘लिखना मेरे लिए साँस लेने जैसा है। जिस तरह मैं साँस लिए बिना ज़िंदा नहीं रह सकता, ठीक उसी तरह मैं लिखे बिना नहीं रह सकता।’’
तुम्हारी कविताओं को एक शैली में कसना मुश्किल है। पचास साल की अपनी काव्य-यात्रा में न जाने तुमने कितने रास्ते बदले हैं। इसलिए तुम्हें कुछ लोग ‘कविता का पिकासो’ भी कहते थे। तुम्हारी कविताओं में समूची पृथ्वी समाई हुई है। तुम जैसे उसके आलिंगन में हो। तुमने कविताओं में अलग सौंदर्य गढ़ा। इस सौंदर्य का स्पर्श करते ही तुम्हारे शब्द रगों में बहने लगते हैं।
तुमने कहा भी : ‘‘मैंने हमेशा कविताओं में आम आदमी के हाथों को दिखाना चाहा। मैंने हमेशा ऐसी कविताओं की आस की जिसमें उँगलियों की छाप दिखाई दे। मिट्टी के गारे की कविता जिसमें पानी गुनगुना सकता हो। रोटी की कविता, जहाँ हर कोई खा सकता हो।’’
तभी तो मार्केज़ ने तुम्हें ‘बीसवी सदी के किसी भी भाषा का सबसे महान कवि’ कहा। तुम्हारी कविता में कोमलता उतनी ही जितनी उत्तेजना, विद्रोह के स्वर। तभी तो लोर्का ने कहा : ‘‘नेरूदा की कविता रोशनाई की अपेक्षा ख़ून के ज़्यादा नज़दीक है और वह बीसवीं शताब्दी के क्रांतिकारी विचार का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।’’
तुम्हारी कविताएँ उसके सबसे सुंदर दिनों की साथी हैं, जिन्हें उसने उन स्त्रियों के लिए पढ़ा; वह जिनके प्रेम में था :
…there is no I or you, so intimate that your hand upon my chest is my hand, so intimate that when I fall asleep your eyes close…
…अब हमारे बीच कोई मैं या तुम नहीं है, हम इतने क़रीब हैं कि मेरी छाती पर तुम्हारा हाथ मेरा ही हाथ मालूम होता है; हम दोनों इतने क़रीब हैं कि जब मैं सो जाता हूँ तो तुम्हारी आँखें बंद हो जाती हैं…
वह विरह के वक़्त उभरी रिक्तता को भरने के लिए भी अपने अकेले दिनों में तुम्हारे पास लौट आया और तुम्हारे ही शब्दों को गुनगुनाने लगा :
Tonight I can write the saddest lines
I loved her, and sometimes she loved me too
आज की रात मैं लिख सकता हूँ सबसे उदास कविता
मैं उससे प्यार करता था,
और कभी-कभी वह भी मुझसे प्यार करती थी
और इंतज़ार के ख़तों में लिखे तुम्हारे ही शब्द :
so I wait for you like a lonely house
till you will see me again and live in me.
Till then my windows ache.
मैं इंतज़ार करता हूँ तुम्हारा
एक वीरान घर की तरह
जब तक तुम मुझे फिर से देख ना लो
और रहने न लगो मुझमें
तब तक उठता रहेगा मेरी खिड़कियों में दर्द।
तुम्हारी कविताएँ उसकी हर यात्रा के बीच का ठौर हैं।
आज तुम्हारा जन्मदिवस है,
तुम्हें अथाह प्रेम प्रिय कवि!
तुम्हारा
पाठक-प्रेमी