केवल नाम के बूढ़े आदमी द्वारा बनाए गए ‘सत्तावन’ प्रसिद्ध बहाने

जो लोग सफल नहीं होते हैं, उनमें आम तौर पर एक ख़ास विशेषता होती है। उन्हें विफलता के सभी कारणों का पता होता है और वे उपलब्धि की अपनी कमी के स्पष्टीकरण के लिए विश्वस्त ठोस बहाने बनाते हैं। इन बहानों में से कुछ चालाक होते हैं और उनमें से कुछ तथ्यों द्वारा तर्कसंगत भी होते हैं।

लेकिन बहानों को पैसे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। दुनिया केवल एक ही बात जानना चाहती है—क्या आपने सफलता हासिल कर ली है?

एक चरित्र विश्लेषक ने सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले बहानों की सूची तैयार की है। जब आप सूची पढ़ें, ध्यान से अपने आपको देखे और निर्धारण करें कि यदि कोई है, तो इनमें से कितने बहाने हैं, जो आप बनाते हैं।

यह भी याद रखें, इस पुस्तक में प्रस्तुत दर्शन इनमें से हर एक बहाने को मिटा सकता है।

यदि मेरे पास पत्नी और परिवार न होता… यदि मेरे पास काफी ‘शक्ति’ होती… यदि मेरे पास पैसे होते… यदि मेरे पास अच्छी शिक्षा होती… यदि मुझे एक नौकरी मिल पाती… यदि मेरा स्वास्थ्य अच्छा होता… यदि मेरे पास समय होता… यदि समय बेहतर होता… यदि अन्य लोग मुझे समझ पाते… यदि मेरे आस-पास की परिस्थिति भिन्न होती… यदि मैं अपना जीवन एक बार फिर से जी पाता… यदि मुझे इस बात का डर नहीं होता कि ‘वे’ क्या कहेंगे… यदि मुझे एक मौक़ा दिया गया होता… यदि मेरे पास अब एक मौक़ा होता… यदि अन्य लोगों ने मुझे यह ‘हानि नहीं पहुँचाई होती’… यदि मुझे कुछ रोक नहीं पाता… यदि मैं युवा होता… यदि मैं सिर्फ़ वह कर पाता, जो मैं चाहता हूँ… यदि मैं अमीर पैदा हुआ होता… यदि मैं ‘सही लोगों’ से मिल पाता… यदि मुझमें वह प्रतिभा होती जो कुछ लोगों के पास है… यदि मैं हिम्मत से अपने आप पर दावा करता… यदि मैंने केवल अतीत के सुनहरे अवसर को गले लगा लिया होता… यदि लोगों ने मेरी संवेदनाओं को भड़काया नहीं होता… यदि मुझे घर सँभालना और बच्चों की देखभाल करना नहीं होता… यदि मैं कुछ पैसे बचा सकता… यदि बॉस ने मेरी सराहना की होती… यदि मेरे पास कोई मेरी मदद करने के लिए होता… यदि मेरे परिवार ने मुझे समझा होता… यदि मैं एक बड़े शहर में रहता होता… यदि मैं बस शुरू कर पाता… यदि मैं स्वतंत्र होता… यदि मेरे पास कुछ लोगों जैसा व्यक्तित्व होता… यदि मैं इतना मोटा नहीं होता… यदि मेरी प्रतिभा जानी जाती… यदि मुझे बस एक ‘अवसर’ मिल पाता… यदि मैं ऋण से मुक्त हो पाता… यदि मैं असफल नहीं होता… यदि मुझे पता होता कि कैसे… यदि हर कोई मेरा विरोध नहीं करता… यदि मेरे पास इतनी सारी चिंताएँ नहीं होतीं… यदि मैं सही व्यक्ति से शादी कर पाता… यदि लोग इतने बेवक़ूफ़ नहीं होते… यदि मेरा परिवार इतना फ़िज़ूलख़र्च नहीं होता… यदि मुझे ख़ुद के बारे में विश्वास होता… यदि भाग्य मेरे ख़िलाफ़ नहीं होता… यदि मैं ग़लत सितारों में पैदा नहीं हुआ होता.. यदि यह सच नहीं होता कि ‘जो होना है, हो जाएगा’…यदि मुझे इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती… यदि मैंने अपना पैसा नहीं खोया होता… यदि मैं एक अलग पड़ोस में रहता होता… यदि मेरा कोई ‘अतीत’ नहीं होता… यदि मेरे पास ख़ुद का व्यवसाय होता… यदि अन्य लोग मेरी बात सिर्फ़ सुन लेते…

यदि और यह उन सभी में सबसे बड़ा है, अपने आपको वास्तविक रूप में देखने का साहस होता तो मैं खोज पाता कि मेरे साथ क्या ग़लत है और उसे सही करता, तो शायद मेरे पास अपनी ग़लतियों से लाभ उठाने का और दूसरों के अनुभव से कुछ सीखने का एक मौक़ा हो सकता था, क्योंकि मुझे पता है कि मेरे साथ कुछ गड़बड़ है या यदि मैंने अपनी कमज़ोरियों का विश्लेषण करने में अधिक और उन्हें छुपाने में कम समय बिताया होता तो मैं वहाँ नहीं होता, जहाँ अब मैं हूँ।

विफलता के स्पष्टीकरण की व्याख्या करने के लिए बहाने बनाना एक राष्ट्रीय शग़ल है। यह आदत उतनी ही पुरानी है, जितनी मानव जाति और सफलता के लिए घातक है! लोग अपने प्रिय बहानों से क्यों चिपटे रहते हैं? उत्तर स्पष्ट है, वे अपने बहानों की रक्षा करते हैं, क्योंकि वे उन्हें बनाते हैं! एक आदमी का बहाना उसकी अपनी कल्पना का बच्चा होता है। अपने मस्तिष्क के बच्चे की रक्षा करना मानव स्वभाव है।

बहानों का निर्माण करना एक गहरी जड़ों वाली आदत है। आदतें छोड़ना कठिन होता है, ख़ासकर जब वे हमारे उन कार्यों को सही साबित करती हों, जिन्हें हम करते हैं। प्लेटो के मस्तिष्क में यह सच्चाई थी, जब उसने कहा था, ‘‘पहली और सबसे अच्छी जीत, स्वयं को जीतना होता है।’’ स्वयं के द्वारा जीता जाना सबसे शर्मनाक और बुरी बात होती है।

एक और दार्शनिक के मस्तिष्क में ऐसा ही विचार था, जब उसने कहा था, “यह मेरे लिए एक महान आश्चर्य था, जब मैंने खोजा कि जितनी भी कुरूपता मैंने दूसरों में देखी थी, वह अधिकांश मेरी अपनी ही प्रकृति का प्रतिबिंब थी।’’

“यह हमेशा मेरे लिए एक रहस्य रहा है।’’ एल्बर्ट हबर्ड ने कहा था, ‘‘लोग अपनी कमज़ोरियों को छुपाने के लिए बहाने बनाकर जान-बूझकर ख़ुद को बेवक़ूफ़ बनाने में इतना समय ख़र्च क्यों करते हैं? यदि अलग ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो यही समय उस कमज़ोरी का इलाज करने के लिए पर्याप्त है, फिर किसी बहाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।’’

विदा होते हुए मैं आपको याद दिला दूँ, “जीवन शतरंज की एक बिसात है और आपके विपरीत बैठा खिलाड़ी समय है। यदि आप आगे बढ़ने से पहले संकोच करते हैं या तुरंत आगे बढ़ने की उपेक्षा करते हैं तो समय के द्वारा आपके मोहरे बिसात से साफ़ कर दिए जाएँगे। आप एक ऐसे साथी के ख़िलाफ़ खेल रहे हैं, जो अनिर्णय बर्दाश्त नहीं करेगा!’’

पहले आपके पास जीवन के लिए एक तार्किक बहाना था कि आप जीवन को अपनी माँगी हुई चीज़ें देने के लिए क्यों मजबूर नहीं कर सकते, लेकिन वह बहाना अब अप्रचलित हो गया है; क्योंकि अब आपके पास मास्टर चाबी हैं, जो जीवन के, भरपूर ख़ज़ानों का दरवाज़ा खोलती है।

मास्टर चाबी अमूर्त है, लेकिन यह शक्तिशाली है! दौलत के निश्चित रूप के लिए आपके अपने मस्तिष्क में एक तीव्र इच्छा उत्पन्न करना एक विशेषाधिकार है। चाबी के उपयोग के लिए कोई दंड नहीं है, लेकिन यदि आप इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो आपको एक क़ीमत का भुगतान करना होगा। वह कीमत है—‘विफलता’। यदि आप चाबी का उपयोग करते हैं, तो अद्भुत अनुपात का इनाम है। यह वह संतुष्टि है, जो उन सभी के लिए है, जो स्वयं को जीतते हैं और जीवन को वह सब कुछ देने के लिए मजबूर करते हैं, जो वे चाहते हैं।

इनाम आपके प्रयास के अनुरूप होता है। क्या आप शुरू करेंगे और आश्वस्त होंगे? अमर इमर्सन ने कहा था, “यदि हम जुड़े हुए हैं, तो हम मिलेंगे।’’

आख़िर में, क्या मैं उनके विचार उधार लेकर कह सकता हूँ, “यदि हम जुड़े हुए हैं, तो हम इन पृष्ठों के माध्यम से मिल चुके हैं।’’

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‘थिंक एंड ग्रो रिच’ (नेपोलियन हिल, फिंगर प्रिंट हिंदी, संस्करण : 2022) के अंतिम अध्याय से साभार।