साहित्य और आधुनिकता

कुँवर नारायण के उद्धरण

‘लेकिन’, ‘शायद’, ‘अगर’ नहीं…

कोई जिया नहीं पकी हुई फसलों की मृत्यु…

चंद्रमा के अकेलेपन के साथ अँधेरे में

”कोई यह नहीं कहे कि मैं गांधी का अनुयायी हूँ। मैं जानता हूँ कि मैं अपना कितना अपूर्ण अनुयायी हूँ।”

‘दुनिया को लेकर मेरा अनुभव बहुत अजीब है’

विष्णु खरे (9 फ़रवरी 1940–19 सितंबर 2018) को याद करते हुए यह याद आता है कि वह समादृत और विवादास्पद एक साथ हैं। उनकी कविताएँ और उनके बयान हमारे पढ़ने और सुनने के अनुभव को बदलते रहे हैं।

‘मैं ऊँचा होता चलता हूँ’

यह लेख उनके लिए नहीं है जो मुक्तिबोध को जानते हैं, यह लेख उनके लिए है जो मुक्तिबोध को जानना चाहते हैं…

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