कमलेश्वर की लिखी एक दुर्लभ फ़िल्म

‘फिर भी’ कैमरे की मदद से रचा गया एक साहित्य है। नई कहानी के ज़रिए जिस तरह भारतीय मध्यवर्गीय जीवन के नए पहलू उद्घाटित हुए थे, वैचारिक खुलेपन को बयार चली थी… उसे काफ़ी हद तक इस फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।

‘भाषा हमेशा नई होती रहती है’

अलका सरावगी हिंदी की अत्यंत प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं। वह साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित हैं। यह पुरस्कार उन्हें उनके पहले ही उपन्यास ‘कलि-कथा : वाया बाइपास’ के लिए साल 2001 में मिला। तब से अब तक हिंदी संसार उनके नए उपन्यासों का बेसब्री से इंतिज़ार करता है।

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