ग्रामदेवता

यह गाँव मेरा संपूर्ण भूगोल है, मेरी संपूर्ण पृथ्वी है। मैं इस पर हर जगह, हर क़दम नृत्य करना चाहता हूँ। मैं इस घर की परिक्रमा करूँगा कहकर—वह घर की परिक्रमा करने लगे। जब दरवाज़े से थोड़ा नीचे उतरते तो नाली के पास आकर ठिठक जाते। ज़मीन से कुछ उठाते-से और दूर फेंक देते फिर आगे बढ़ जाते। बच्चे उनके पीछे हो-हो करके जाते, वह घुड़ककर पीछे देखते तो वे वापस लौट आते फिर वह आगे बढ़ जाते। उनकी परिक्रमा संपूर्ण थी, ठीक दरवाज़े से निकलते, नाली पर करके पीछे की गली में घुसते बग़ीचे में पहुँचकर कुछ पल रुकते और ऊपर पेड़ों की डालियों-पत्तों-फलों को ध्यान से देखते और बंकिम मुस्कान छोड़ देते।

शोकयात्रा

मी कोच हर ट्रेन का वह डब्बा होता है जो ग़मी (प्रियजन की मृत्यु) के यात्रियों के लिए आरक्षित होता है। इसी साल की शुरुआत में रेलमंत्री ने हर ट्रेन में एक अतिरिक्त कोच जोड़े जाने की घोषणा की। इस कोच में बैठने के लिए लोगों को पहले से कोई आरक्षण की ज़रूरत नहीं रहती। इस कोच में बैठने के लिए आपके पास ग़मी की सूचना का सबूत होना चाहिए। मसलन कोई टेक्स्ट मैसेज, ई-मेल या व्हाट्सएप्प मैसेज; हालाँकि इसमें भी फ्रॉड की संभावना तो बनी ही रहती है।

प्रति-रचनात्मकता : रचनात्मकता का भ्रम और नया समाजशास्त्र

तकनीक और सुविधाओं के इस भँवरजाल में जीते हुए हमने अपना समयबोध और रचनाबोध दोनों ही गँवा दिया है, ऐसा जान पड़ता है। सूचनाएँ हम तक इतनी तीव्र गति से पहुँचती हैं कि हम अभी पुरानी सूचना को पचा ही पाएँ, तब तक एक नई सूचना हमारे सामने होती है। घटनाएँ, दुर्घटनाएँ तक टिकती नहीं; जैसे सब कुछ किसी तीव्र गति के प्रवाह में हो और इसकी गति को नियंत्रित ही न किया जा सके?

क्या एक गल्प है यह

थिएटर देखते समय अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो सबका ध्यान थिएटर में चल रहे दृश्य से हटकर मृत व्यक्ति की ओर आ जाएगा, संभवतः थिएटर थोड़ी देर के लिए रुक या निरस्त भी हो जाए।

पहाड़ पर पिघलते मुहावरे

भाषा और दृश्य के संबंधों पर विचार करते हुए मुझे एक बार विचित्र क़िस्म की अनुभूति हुई। मुझे लिखे हुए शब्द रेखाचित्र से दिखने लगे। ‘हाथी’ लिखे हुए शब्द में ‘ह’ और ‘थ’ दिखने की बजाय मुझे एक समूचे हाथी का चित्र दिखने लगा। मैंने अपने एक मित्र से पूछा कि भाषा और चित्रकला में क्या भेद है?

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