आज की कविता के सरोकार तथा मूल्यबोध

मैं गद्य का आदमी हूँ, कविता में मेरी गति और मति नहीं है; यह मैं मानता हूँ और कहता भी हूँ फिर भी यह इच्छा हो रही है कि आज की कविता के सरोकार तथा मूल्यबोध के बारे में कुछ स्याही ख़र्च करूँ। इस अनाधिकार चेष्टा में अंतर्निहित समस्त संभावित त्रुटियों के लिए अग्रिम रूप से क्षमाप्रार्थी हूँ।