‘शुद्ध प्रेम सत्य की भाँति आदर्श है’
प्रेम की चरम-सीमा वहाँ है, जहाँ व्यक्ति तन्मय हो जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति प्रेम करता नहीं है, स्वयं प्रेम होता है।
By हिन्दवी
दिसम्बर 24, 2020
प्रेम की चरम-सीमा वहाँ है, जहाँ व्यक्ति तन्मय हो जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति प्रेम करता नहीं है, स्वयं प्रेम होता है।
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