रामवृक्ष बेनीपुरी के साथ एक सेलिब्रेशन

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन और साहित्य एक ऐसे सतरंगी इंद्रधनुष की तरह है जिसमें मानव और मानवेतर संवेदनाओं का गाढ़ापन है, रूढ़ियों और जीर्ण परंपराओं से विद्रोह का तीखा रंग है, धार्मिक और सांप्रदायिक दुर्भावनाओं का प्रत्याख्यान है और समाजवाद और मानववाद का अद्भुत सहमेल है।

शब्द प्रतीक्षा कर सकते हैं

रिल्के के लिखे पत्रों में प्रेषित करने वाले का ‘धैर्य’ और पाने वाले की ‘प्रतीक्षा’ का शिल्प एकाकार हो गया है। दो भौगोलिक दूरियों पर रहते हुए भी पति-पत्नी के बीच ये पत्र-संवाद कला के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के दुर्लभ दस्तावेज़ हैं, इसलिए प्रेम-पत्र के सामान्य अर्थों से पार चले जाते हैं।

संस्मरण की पाँचवीं पद्धति

हिंदी समाज में किसी बड़े साहित्यकार की मृत्यु के बाद उन्हें कम से कम पाँच पद्धतियों से याद किया जाता है। औपचारिक स्मरण के अलावा बहुत से लोग अत्यंत विनम्र और सदाशय होकर उनकी महानता को याद करते हैं और इसे एक बड़ी क्षति के रूप में देखते हैं।

सही नाम से पुकारने की कला

क्या लिखते हुए हम चीज़ों को उनके सही नाम से पुकारते हैं? चाहे गद्य हो या कविता—यह प्रश्न आत्ममंथन की माँग करता है। साहित्य में शब्द की ‘सत्ता’ और उसकी ‘संज्ञा’ की बराबर भूमिका होती है।

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