नकार को दिसंबर की काव्यात्मक आवाज़

दुनिया वही नहीं रह जाती पहले जैसी, जब उसमें एक अच्छी कविता जुड़ जाती है। सविता सिंह और पंकज सिंह के बारे में यह बात विश्वास से कही जा सकती है जो कभी सोनिया सैंचेज़ ने कही थी कि सारे कवि, कवयित्री और लेखक राजनीतिक होते हैं। या तो वे यथास्थिति को बनाए और बचाए रखना चाहते हैं या फिर वे यह सोचते हैं कि कहीं किसी रूप में कुछ तो ग़लत हो रहा है और इसको बेहतर बनाया जाना हमारा कर्त्तव्य है।