‘दिव्य क़ैदख़ाने में’ रंजनदास
जीवन स्थितियाँ जितनी त्रासद होती जाती है, ‘फ़ील गुड’ और ‘ऑल इज़ वेल’ का मंत्र-पाठ उतना ही तीव्र होता जाता है। ऐसे में रोंडा बर्न्स, शिव खेड़ा, संदीप माहेश्वरी जैसे महर्षि पैदा होते हैं और ‘लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन’ का ज्ञान देते हैं!