ग्रामदेवता

यह गाँव मेरा संपूर्ण भूगोल है, मेरी संपूर्ण पृथ्वी है। मैं इस पर हर जगह, हर क़दम नृत्य करना चाहता हूँ। मैं इस घर की परिक्रमा करूँगा कहकर—वह घर की परिक्रमा करने लगे। जब दरवाज़े से थोड़ा नीचे उतरते तो नाली के पास आकर ठिठक जाते। ज़मीन से कुछ उठाते-से और दूर फेंक देते फिर आगे बढ़ जाते। बच्चे उनके पीछे हो-हो करके जाते, वह घुड़ककर पीछे देखते तो वे वापस लौट आते फिर वह आगे बढ़ जाते। उनकी परिक्रमा संपूर्ण थी, ठीक दरवाज़े से निकलते, नाली पर करके पीछे की गली में घुसते बग़ीचे में पहुँचकर कुछ पल रुकते और ऊपर पेड़ों की डालियों-पत्तों-फलों को ध्यान से देखते और बंकिम मुस्कान छोड़ देते।

शोकयात्रा

मी कोच हर ट्रेन का वह डब्बा होता है जो ग़मी (प्रियजन की मृत्यु) के यात्रियों के लिए आरक्षित होता है। इसी साल की शुरुआत में रेलमंत्री ने हर ट्रेन में एक अतिरिक्त कोच जोड़े जाने की घोषणा की। इस कोच में बैठने के लिए लोगों को पहले से कोई आरक्षण की ज़रूरत नहीं रहती। इस कोच में बैठने के लिए आपके पास ग़मी की सूचना का सबूत होना चाहिए। मसलन कोई टेक्स्ट मैसेज, ई-मेल या व्हाट्सएप्प मैसेज; हालाँकि इसमें भी फ्रॉड की संभावना तो बनी ही रहती है।

मेरे लिए इक तकलीफ़ हूँ मैं

पिछले कुछ महीनों से उसने अपने बाल बढ़ा लिए थे, माथे पर जूड़ा बाँधने लगा था और ख़ुद को ख़ुद ही उष्णीष कहने लगा था। पिछले कुछ समय से वह बीमार हो चला है। उसके चेहरे का हिस्सा ठीक से काम नहीं कर रहा। उसकी एक आँख झपकती ही नहीं। चेहरा अजीब विद्रूप दीखता है। कंप्यूटर के सामने बैठा वह मेज़ पर रखे बुद्ध की छोटी-सी पिंगल प्रतिमा को निर्निमेष देखता। तनाव, दुःख और क्षोभ उस पर हावी हो रहे हैं। उसने कंप्यूटर की ब्लैक स्क्रीन में अपना चेहरा देखा। फिर अजीब-अजीब तरह की भंगिमा बनाकर ख़ुद को निहारता रहा।

चोट

बुधवार की बात है, अनिरुद्ध जांच समिति के समक्ष उपस्थित होने का इंतजार कर रहा था। चौथी मंजिल पर जहां वह बैठा था, उसके ठीक सामने पारदर्शी शीशे की दीवार थी। दफ्तर की यह दीवार इतनी साफ-शफ़्फ़ाक थी कि मई महीने की जलती लू भी भीतर आ जाना चाहती थी। शीशे की दीवार ने दोपहर की तपिश के रंग को जरा हल्का कर दिया था।

दो दीमकें लो, एक पंख दो

हमारी भाषा में कहानी ने एक बहुत लंबा सफ़र तय किया है। जो कहानियों के नियमित पाठक हैं, जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में हिंदी में कहानी का जैसे पुनर्जन्म हुआ है। हिंदी की कहानी अब विश्वस्तरीय है और इतनी विविधता उसमें है कि जो पाना चाहें वह आज की कहानियों में मिल सकता है—कहन का अनूठा अंदाज़, दृश्यों का रचाव, कहानी का नैसर्गिक ताना-बाना, सधा हुआ, संतुलित, निर्दोष शिल्प और इन सबके संग जीवन की एक मर्मी आलोचना।

रात का कौन-सा पहर है

शायद रात हो गई है और तुम वृद्ध। न तुम्हारे सिरहाने कोई प्रकाश करने वाला है, न ही कोई तुमसे बात करना चाहता है। बरसात के मौसम में साँप निकलते हैं… अगर कोई साँप तुम्हारे ऊपर चढ़ गया तो क्या करोगे? तुम तो मर ही गए हो, अब अगर साँप काट ले तो समझना कि शिव जी ने तुम्हें बुलाया है।

क्या पता बच ही जाऊँ

वह अपने साथियों के साथ भागता फिर रहा था। उसे शक था कि पुलिस देखते ही इन सबका एनकाउंटर कर देगी। उसने सोशल मीडिया पर अपने कई वीडियो अपलोड किए थे और लोगों से समर्थन की गुज़ारिश की थी। बदले में उसका सोशल मीडिया एकाउंट फ़ेक मानते हुए बंद कर दिया गया था। वह चाहता था कि मैं अपने चैनल में किसी तरह से इस बात की संभावना बनाऊँ कि उसके फ़ेवर में एक पॉज़िटिव ख़बर चलाई जा सके।

सपनों वाला घर और मेरा झोला

मैं घर से ख़ाली हाथ निकलना चाहता था। पर वो घर ही क्या जो ख़ाली हाथ निकल जाने दे। जब मैं बाहर के लिए निकल रहा था तो घर ने कहा कि ये झोला लेते जाओ। इसमें तुम्हारे रास्ते का सामान है। मैंने घर की तरफ़ मना करने के लिए देखा, पर घर के चेहरे पर इतनी तरह के भाव एक साथ थे कि मैंने कुछ नहीं कहा। मैंने झोला थाम लिया।

उमस भरी जुलाई में एक इलाहाबादी डाकिया

मैं सपने में अक्सर उड़ती हुई चिट्ठियाँ देखता हूँ। वे जादुई ढंग से लहराते हुए हवा में खुलती हैं और कई बार अपने लिखने वालों में बदल जाती है। तब मुझे उनकी तरह तरह की आँखें दिखाई पड़ती हैं। मैंने इन्हीं चिट्ठियों में दुनिया भर की आँखें देख रखी हैं। उनकी गहराई, उनके भीतर के सपने या उदासी, भरोसा या मशीनी सांत्वना, उनकी कोरों पर अटके हुए आँसू, सूखे हुए कीचड़… सब कुछ मैंने इतनी बार और इतनी तरह से देखा है कि अब बेज़ार हो गया हूँ। मेरे भीतर की आग बुझ गई है। उसकी राख मेरी ही पलकों पर गिरती रहती है।

उसी के पास जाओ जिसके कुत्ते हैं

मुझे पता भी नहीं चला कि कब ये कुत्ते मेरे पीछे लग गए। जब पता चला तो मैं पसीने-पसीने हो गया। मैंने कहीं पढ़ा था कि अगर कुत्ते पीछे पड़ ही जाएँ तो एकदम से भागना ख़तरनाक होता है। आप कुत्तों से तेज़ कभी नहीं दौड़ पाएँगे। कुत्ते आपको नोच डालेंगे।

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