एक बड़ा फ़ुटबॉलर नहीं रहा
…उसकी बाँह पर चे का टैटू होगा, पैर पर कास्त्रो का। वह फ़िदेल कास्त्रो को कास्त्रो का टैटू दिखाएगा और हम उस तस्वीर को साझा कर कहेंगे, विदा—हाँ विदा, अलविदा!
वह शॉवेज के टेलीविज़न शो में बैठकर एक दिन कह देगा कि मैं तो ‘शॉविज़ता’ हूँ—शॉवेज का भक्त, शॉवेज और फ़िदेल जो कहते हैं, जो करते हैं, वही सही है। यह सही है इस ‘सेंस’ में है कि वह कह देगा कि मुझे प्रत्येक उस चीज़ से घृणा है जो अमेरिका है। अमेरिका मैं दिल की गहराइयों से घृणा करता हूँ तुमसे।
वह हवाना में अपनी 1300 रातें गुज़ारेगा और कहेगा कि शुक्रिया फ़िदेल कि तुमने जन्नत के दरवाज़े खोल दिए मेरे लिए कि जब अर्जेंटीना नशे से मेरी मौत में कोई ज़िम्मेवारी नहीं उठाना चाहता, तब तुम, बस तुम हो कॉमरेड, तुम आकर मिले हो नशे की सुरंग के बंद मुहाने पर मेरे लिए रोशनी की मशाल लिए। कास्त्रो और किसी से नहीं, उसे ही कहेगा बुश के लिए—फ्रॉड। द टेररिस्ट माफ़िया ऑफ़ मिआमी!
मदुरो जिस दिन कह देगा उससे उस दिन सैनिक की पोशाक में वह निकल पड़ेगा वेनेजुएला की मुक्ति के लिए, इंक़लाब ज़िंदाबाद!
…
यह हमारे एक हिस्से का माराडोना है। ये क़िस्से हमारे एक हिस्से के माराडोना की श्रद्धांजलि के इस्तेमाल के लिए हैं—संसार के महानतम फ़ुटबॉलर और कोच डिएगो माराडोना के लिए।
हम आज ही कह देंगे कि विश्वविद्यालयों के ‘ज़रा-से अराजक’ बच्चे उसकी छवि वाली टी-शर्ट फ़ुटबॉल के लिए नहीं, कथित प्रतिरोध लिए पहना करते थे। हो सकता है कि हम में से कोई कह दे कि वह किम जोंग इल या ज़िया उल हक़ का प्रशंसक रहा था और उसने ज्योति बसु को उनके किसी जन्मदिन पर सिगार गिफ़्ट किया था। कह सकता है कोई कि अभी अमरेकी चुनावों में माराडोना का दाँव बर्नी पर था और वह रो पड़ा था बाइडेन की उम्मीदवारी पर, फिर ट्रम्प को देखा और हँस पड़ा।
हम हिंदी के एजेंडेबाज़ अपने मतलब की सूचनाओं के साथ उसके फ़ुटबॉल-परिचय का एक शब्द न लिखते हुए यह भी कह सकते हैं कि वस्तुतः माराडोना भारत में कथित फ़ाशीवाद के उभार को लेकर अत्यंत चिंतित रहा था। हम हिंदीवालों की पढ़ाई खुले स्कूलों में हुई है। अ से अमेरिका, ब से बम। हमारे सारे पाठ हमारे अपने एजेंडे पर हैं—इ से इजरायल। इजरायल हम घृणा करते हैं तुमसे। यहूदियों तुम हमारे दुहरे इस्तेमाल की घटनाओं की पुष्टि के लिए हो दुनिया में। सोमाली कोरिया से एक युवा भागकर जनूबी कोरिया पहुँचा, फिर अमेरिका। उसका इंटरव्यू किया लोगों ने। उसने बताया कि उसे स्कूल में पढ़ाया गया कि अमेरिकी लोगों की अत्यंत लंबी नाक और नुकीले दाँत होते हैं और वे शैतान से दीखते हैं।
…
लेकिन माराडोना फ़ुटबॉलर ही था। बहुत बड़ा फ़ुटबॉलर। इतना बड़ा कि वह स्वयं कह देता था कि पेले उसके आगे पानी भरता है और दुनिया शोर नहीं करती थी। इतना बड़ा कि वह कह दे : दुनिया में हज़ारों बेकहम हैं और लोग मान लेते थे (तुलना में लुइस ग्लीक कह दें कि कविता में हज़ारों रूपी कौर हैं तो हिंदी के कई महाकवि अन्न जल त्याग सड़कों पर उतर आएँ प्रतिरोध में)। इतना बड़ा कि दुनिया के सारे लिटल मास्टर्स प्रार्थना करते हों कि या ख़ुदा मुझे माराडोना करो। माराडोना जो ‘अल दियोस’ है अर्जेंटीना का, देवाधिदेव!
इतना विराट फ़ुटबॉलर कि मेसी कह देगा कि मैं एक अरब वर्ष फ़ुटबॉल खेलता रहूँ तो भी माराडोना की महानता को नहीं छू सकता। इतना महान कि अर्जेंटीना का फ़ुटबॉल माराडोना-पूर्व और माराडोना-पश्चात में बँट गया हो। प्लातिनी जिसके लिए कहता हो कि जो ज़िदान फुटबॉल के साथ कर सकता है, वह माराडोना संतरे के साथ कर सकता है। माराडोना जो एक फ़िनोमेनन है। माराडोना, जिसके लिए उसके ही शब्दों को दुहराते हुए (माराडोना ने रोनाल्डो को फ़ुटबॉल का जादूगर कहा था) रोनाल्डो कह देगा—एक जादूगर, अद्वितीय, असमानांतर!
माराडोना ने नहीं कहा कभी किसी हिंदी कविता-पंक्ति में कि बहुत ग़लतियाँ की हैं मैंने, उसके प्रशंसक कहते हैं कि उसके सौ गुनाह मुआफ़! इसी तर्ज़ पर आज कह दूँगा मैं कि वह अनंत ग़लतियों का स्मारक था, उसे अनंत फूल दो।
उस बड़े फ़ुटबॉलर की मौत हुई है। उस बड़े फ़ुटबॉलर को श्रद्धांजलि दी जा सकती है। उस बड़े फ़ुटबॉलर के क्लिप्स देखते हुए बीड़ी (देसी सिगार?) पीते हुए आज की शाम काटी जा सकती है।