काग़ज़ केवल शब्द लिखने के लिए नहीं बना है
कम बोलना चाहिए। ऐसा इसलिए कि कविता में बोले जाने की बात को ‘कह’ देने की गुंजाइश बनी रहती है।
~•~
आजकल बाज़ार में ऐसे पपीते भी मिलते हैं, जिन्हें काटो तो उनके भीतर से कोई बीज नहीं निकलता।
~•~
किसी ख़बर का पीछा कर उसे सबसे पहले पकड़ने के बदले उसके उत्स को खोजना ज़रूरी काम है।
~•~
चलते थ्रेशर को मुग्ध भाव से देखते किसान ने कहा, ‘‘अच्छा हुआ जो भूसा दूर जाकर गिरा और अनाज पास में।’’
~•~
बहुत सारी क़लमों की स्याही सही शब्द लिखे जाने की प्रतीक्षा में रुलाई बनकर लीक हो जाती है।
~•~
वाष्पीकरण एक सहज क्रिया है। यह सिर्फ़ द्रवों पर ही लागू हो ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं।
~•~
पाक कला की ढेर सारी किताबें पढ़ने के बाद पता चलता है कि खाना पकाने के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है—धैर्य।
~•~
कोयल के कूकने और गेट के भीतर अख़बार के गिरने की आवाज़ एक साथ आए तो सबसे पहले क्या—कान या आँख?
~•~
फूलों को तोड़कर गुलदान में सजाने वाले शायद ही कभी किसी बीज का अंकुरण देख पाते होंगे।
~•~
तितलियों की उड़ान का उद्देश्य क्या उन पर लिखी उन कविताओं की तलाश है, जिनमें सचमुच के पराग-कण होते हैं?
~•~
लोग बड़ी गंभीरता से ऐसा बताते हैं कि आजकल सब कुछ ‘की-पैड’ से लिखा जाता है।
~•~
चींटियाँ अपने भार से कई गुना अधिक वज़न उठाकर आराम से चल लेती हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि वे चींटियाँ हैं।
~•~
यदि स्वयं को यह पता न चल सके कि कमज़ोर कड़ी कहाँ है तो प्रसिद्ध होना बहुत आसान हो जाता है।
~•~
पानी एक ऐसी चीज़ है जिसे बहुत देर तक बिना बोले भी देखा जा सकता है।
~•~
कितना अच्छा होता कि जिस संख्या में कवियों के संग्रह छपे बताए जाते हैं, लगभग उतनी ही संख्या में उन्होंने कविताएँ भी लिखी होतीं।
~•~
काग़ज़ केवल शब्द लिखने के लिए नहीं बना है। इस पर ध्वनि, रस, गंध और स्पर्श को भी लिखकर देखा जाना चाहिए।
~•~
भरोसा बनाए रखो कि तुम्हें भाषा पर सचमुच भरोसा है और हाँ, इसकी कोई समय-सीमा नहीं।
~•~
आँच केवल आग में ही नहीं पाई जाती। कभी एकांत मिले तो अपने लिखे हुए के तापमान को जाँचो।
~•~
प्रशंसा का अधिकांश भाप बनकर उड़ जाने के लिए ही बना होता है।
~•~
कवि कहलाने का बैज, नेमप्लेट या मोनोग्राम किसी दुकान पर नहीं मिलता। वैसे, यह चाहिए ही क्यों?
~•~
जो चीज़ कम होती है, उसकी याद लंबे समय तक आती रहती है।
~•~
कविता के होने और लिखे जाने के बीच के समय का आकलन किसी घड़ीसाज़ से पूछकर क्या हासिल?
~•~
जिस किताब में अच्छी कविता होती है, उसके पास दीमकें नहीं फटकतीं।
~•~
आटे को जितनी बार छाना जाए थोड़ा-बहुत चोकर तो निकल ही आता है।
~•~
कुछ कविताएँ विजिटिंग-कार्ड और यात्रा-टिकट की तरह भी प्रयोग में लाई जाती हैं।
~•~