इक्कीसवीं सदी की स्त्री-कविता

हिंदी में उपस्थित स्त्री-कविता का यह स्वर्णकाल है। इस संभव-साक्ष्य को पाने के लिए हमारी भाषा बेहद संघर्ष करती रही है। स्त्री-कवियों की संख्या का विस्तार अब इस क़दर है कि उन्होंने पूरे काव्य-दृश्य को ही अपनी आभा से आच्छादित किया हुआ है।

वह दौर जब स्त्री-कवियों के नाम शुरू होते ही समाप्त हो जाते थे, अब विचार का अकादमिक विषय हो चुका है। अब हमारा सामना हिंदी कविता की एक बिल्कुल नई सृष्टि से है, जहाँ एक नई स्त्री है—अपनी बहुसंख्य अभिव्यक्तियों के साथ।

यहाँ नई सृष्टि से हमारा आशय इक्कीसवीं सदी की स्त्री-कविता से है। इस कविता में उस नए स्त्रीवादी सौंदर्यशास्त्र का दर्शन किया जा सकता है, जिसका निर्माण बीसवीं सदी के आख़िरी दशक में उभरी स्त्री-कवियों ने तब किया, जब इस बाबत सोचना भी कुफ़्र था। आधुनिक हिंदी कविता के सबसे ज़्यादा कामयाब—सातवें और आठवें—दशक में किसी प्रमुख स्त्री-हस्ताक्षर का न होना इस बात की तस्दीक़ है।

दरअस्ल, यह स्त्री-अनुभवों और आकांक्षाओं को एक पुरुष-भाषा में व्यक्त करने की पितृ-सत्तात्मक साज़िश का ही निष्कर्ष है।

नवें दशक में इस संरचना के विखंडित होते ही हिंदी कविता में स्त्री-हस्ताक्षरों के अभाव का द्वार टूटता है। वय-संचालित तथ्यों को परे कर दें और इस बहाव में वरिष्ठ स्त्री-कवि शुभा को भी शरीक करें जिनकी कविताएँ नवें दशक में ही सामने आईं, तब कह सकते हैं कि कम-से-कम दस प्रमुख स्त्री-हस्ताक्षर—शुभा, कात्यायनी, गगन गिल, अनीता वर्मा, अनामिका, नीलेश रघुवंशी, निर्मला गर्ग, तेजी ग्रोवर, अजंता देव, सविता सिंह—इस अर्थ में नवें दशक की हिंदी कविता को एक झटके में सातवें और आठवें दशक की कविता से ज़्यादा वैधता, विविधता और वैशिष्ट्य प्रदान करते हैं।

इस प्रकार देखें तो इक्कीसवीं सदी की स्त्री-कविता को अपनी अभिव्यक्ति के लिए अपनी भाषा में ही एक सशक्त पृष्ठभूमि मिलती है। यहाँ ‘हिन्दवी’ इस अभिव्यक्ति से ही एक चयन लेकर हाज़िर है। यह चयन एक बानगी है कि किस तरह हिंदी की बिल्कुल नई स्त्री-कविता अब तक अव्यक्त रहे को, व्यक्त कर रही है।

‘हिन्दवी’ सतत इस तरफ़ एकाग्र है कि हिंदी की नई कविता पर नई बहसें संभव हों। इस वर्ष की शुरुआत में हमने ‘इसक’ जैसा आयोजन किया था, जिसमें इक्कीसवीं सदी में सामने आए 21 हिंदी कवियों का एक चयन लेकर हम प्रस्तुत हुए। इस सिलसिले में ही ‘नई सृष्टि नई स्त्री’ शीर्षक यह आयोजन भी है। यहाँ हमने 21 स्त्री-कवियों का चयन किया है। इस मार्च के आगामी 21 दिनों तक हम इन स्त्री-कवियों की रचनाशीलता से आपको परिचित कराते रहेंगे।

आज की हिंदी कविता में बेहतर नामों की कोई कमी नहीं है, कोई नाम अगर छूटता है, इसमें नाम लेने वाले की सीमा है; छूटे हुए नाम में कोई कमी नहीं। फ़िलहाल यहाँ नामों का दुहराव न हो, इसलिए हमने ‘इसक’ में शामिल स्त्री-कवियों के नाम यहाँ नहीं लिए हैं।

‘नई सृष्टि नई स्त्री’ की इस वर्ष की सूची अकारादि क्रम में यह है :

अंकिता आनंद
अंकिता शाम्भवी
अनुपम सिंह
उपासना झा
कविता कादंबरी
गार्गी मिश्र
जोशना बैनर्जी आडवानी
ज्योति शोभा
देवयानी भारद्वाज
नेहा नरूका
पूनम अरोड़ा
मृगतृष्णा
मोहिनी सिंह
रश्मि भारद्वाज
रेखा चमोली
विपिन चौधरी
शैलजा पाठक
शोभा
सपना भट्ट
समृद्धि मनचंदा
सुनीता

~•~

‘नई सृष्टि नई स्त्री’ समग्र के लिए यहाँ देखें : नई सृष्टि नई स्त्री-2021