अमन त्रिपाठी

नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-गद्यकार।

‘भक्त भगवानों से लगातार पूछ रहे हैं कविता क्या है’

व्योमेश शुक्ल के अब तक दो कविता संग्रह, ‘फिर भी कुछ लोग’ और ‘काजल लगाना भूलना’ शाया हुए हैं—जिनमें तक़रीबन सौ कविताएँ हैं, कुछ ज़्यादा या कम। इन दोनों संग्रहों की‌ कविताओं पर पर्याप्त बातचीत-बहस हो चुकी है। व्योमेश जी के कवि पर भी ख़ासी बातचीत हिंदी के परिसर में होती रहती है। कविता पढ़ने के अपने शुरुआती समय से ही व्योमेश जी को मैं पढ़ता रहा हूँ और मुतासिर रहा हूँ।

कहीं जाने की इच्छा (के) लिए

मैं बहुत दिनों से एक जगह जाना चाहता हूँ। इन दिनों मेरे पास इतना अवकाश नहीं रहता कि कुछ ज़रूरी कामों के अलावा भी मैं कुछ और कर सकूँ, लेकिन उस जगह का आकर्षण ऐसा दुर्निवार है कि किसी अन्य काम में मेरा मन एकदम नहीं लगता। आलम यह है कि मैं सो नहीं पाता जब मुझे याद आती है कि मुझे वहाँ जाना है।

एक कैफ़े को शुरू करने का संघर्ष

इस समय मुझे समय की गणना उतनी ही ग़ैरज़रूरी लग‌ रही है जितनी ‌कि‌ यह‌ गिनना कि तुम्हें ‌प्रेम करते हुए ‌कितना‌ समय बीता। गणनाएँ और अंक मशीनों की और‌ मशीनीकरण की आवश्यकता ‌हैं।

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