साहित्य के दरवाज़े के द्वारपाल की भूमिका में

भाषा को तमीज़ से बरतना कविता-कर्म की बुनियादी शर्त है। अनुचित शब्द चयन कवि और कविता दोनों के लिए प्राणहंता है। कविता में किसी शब्द का कोई बदल/पर्याय नहीं होता।