भूलने की कोशिश करते हुए

सारी आत्महत्याएँ दुनिया छोड़ने के मक़सद से या मर जाने के मक़सद से नहीं की जातीं। हम भूलना चाहते हैं, चाहते हैं कि इतनी ताक़त हासिल कर पाएँ कि साँस लेना भूल जाएँ। एक ऐसी बात भूलना चाहते हैं जिसे भूलने का विकल्प नहीं होता। स्मृति इच्छा-मृत्यु माँगती है, लेकिन पा नहीं सकती।