अखिलेश सिंह

नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और अनुवादक।

टी-ब्रेक और नक़द व्यवहार

‘खरमिटाव’ अवधी प्रदेश के एक बड़ी पट्टी में प्रचलित शब्द है। इसका चलन धूमिल तो हुआ है, लेकिन बंद नहीं हुआ। इसका साफ़ कारण यह है कि इस शब्द में ऐसे साभ्यतिक इशारे मौजूद हैं, जिनसे जीवन-कर्म का स्वाभाविक मर्म उद्घाटित होता है।

पेट, प्यार और पल्प

इस तरह की बातें मैंने कई लोगों से कई लोगों को पूछते-करते देखा है। यह एक रस्मी बात है। अगर साहित्य और लेखन के धंधे का आदमी मिलेगा तो इस तरह की बातें पूछ सकता है।

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