कहानी यहाँ से शुरू होती है

एक बादशाह था उसने बचपन से ही दीनी तालीम हासिल की। उसे फ़ुज़ूल मज़हबी रस्मो-रिवाज से चिढ़ थी। एक दिन उसने तमाम मज़ारों को तोड़ने का इरादा किया। बादशाह के आलिम दरबारियों ने क़ुरानो-हदीस के हवाले दे-देकर साबित किया कि ये शहीदों की मज़ारें हैं और शहीद चूँकि ज़िंदा होते हैं, उन्हें अल्लाह ता’ला से रिज़्क़ पहुँचता है, इसलिए मज़ारों का तोड़ना गुनाहे-अज़ीम में शामिल होगा।