अथ ‘स्ट्रेचर’ कथा

यह सच है कि मानवीय संबंधों की दुनिया इतनी विस्तृत है कि उस महासमुद्र में जब भी कोई ग़ोता लगाएगा उसे हर बार कुछ नया प्राप्त होने की संभावना क़ायम रहती है। बावजूद इसके एक लेखक के लिए इन्हें विश्लेषित या व्यक्त करते वक़्त यह इतना सरल नहीं हो पाता।