अस्सी वाया भाँग रोड बनारस

कितना अजीब है किसी घटना को काग़ज़ पर उकेरना। वर्तमान में रहते हुए अतीत की गुफाओं में उतर कर किसी पल को क़ैद कर लेना। उसे अपने हिसाब से जीने पर मजबूर कर देना। मैं कितनी बार कोशिश करता हूँ कि जो घटना बार-बार मुझे प्रभावित कर रही है उसे किसी स्मृति की तरह ही रखा जाए। लेकिन कुछ घटनाएं इतनी हठी होती हैं कि ख़ुद को काग़ज़ पर उतार कर ही दम लेती हैं। ऐसी ही एक घटना बनारस की है। मैं जिन दिनों हिन्दू विश्वविद्यालय का छात्र था। उफ़ ! ये ‘था’ कितना दिल फ़रेब है।