एक पुरुष की देह को लेकर

बहुत याद करने पर भी और बहुत मूड़ मारने पर भी पिछले दिनों ठीक-ठीक यह याद नहीं आया कि उस दिन हमारे घर में कौन-सा आयोजन था। हाँ, यह ख़ूब याद है कि उसी बरस किसी महीने दादी मरी थीं; पर यह याद नहीं आता कि वह दिन उनका दसवाँ था, तेरहवीं थी, होली थी या बरसी थी…पर उनकी मृत्यु से ही जुड़ा कोई आयोजन था घर में।