‘तथता’ के रास्ते ‘इयत्ता’ की खोज

यह कथा अलग-अलग तरीक़ों से सुनाई जाती रही है। तरह-तरह के विद्वानों ने इस कथा के श्रोत/तों की ओर इशारा किया है, पर हमारे सामने सवाल इस कथा की अनुवांशिकी खोजने का नहीं है। सवाल यह है कि एक कथा कविता में कैसे बदलती है? क्यों बदलती है?