कमलेश्वर की लिखी एक दुर्लभ फ़िल्म

‘फिर भी’ कैमरे की मदद से रचा गया एक साहित्य है। नई कहानी के ज़रिए जिस तरह भारतीय मध्यवर्गीय जीवन के नए पहलू उद्घाटित हुए थे, वैचारिक खुलेपन को बयार चली थी… उसे काफ़ी हद तक इस फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।