‘मेरी सारी कविताएँ मेरे प्रेम की कविताएँ हैं’

नरेश सक्सेना एक ऐसे विलक्षण कवि हैं, जिन्हें अपनी लगभग समग्र काव्य-पंक्तियाँ और उनके स्रोत याद हैं। वह कविता में ‘कम’ के पक्षधर हैं, लेकिन वार्तालाप में बेहद मुखर हैं; इतने कि सारे प्रश्न पहले से ही जान लेना चाहते हैं।