एक मूर्ख मेरी ओर

विवेक अपने उदय के बाद जैसे-जैसे परिवर्तित, परिष्कृत और विकसित हुआ; वैसे-वैसे ही अविवेक भी परिवर्तित, परिष्कृत और विकसित हुआ। एक दौर में अज्ञान पर विजय हासिल करते हुए अर्जित की गईं संसार की सबसे बड़ी उपलब्धियों को ध्यान से जाँचने पर ज्ञात होता है कि संसार की सबसे बड़ी मूर्खताएँ भी इन्हीं उपलब्धियों के आस-पास घटी हैं।

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

उनका पूरा नाम विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ था। ‘विमलेश राजस्थानी’ भी उन्हें कहा जाता था और कवियों के बीच वह विमलेशजी के नाम से मशहूर थे। विमलेशजी की चार लाइनों और उनके पढ़ने की नक़ल करने वाले सुरेंद्र शर्मा को जानने वाले यह नहीं जानते कि छठवें और सातवें दशक के कवि-सम्मेलनों के विमलेशजी सितारा कवि थे।

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