‘कितना संक्षिप्त है प्रेम और भूलने का अरसा कितना लंबा’

तुम कविता की दुनिया में एक चमकता सितारा हो, जिसे एक युवा दूर पृथ्वी से हमेशा निहारता रहता है। उसकी इच्छा है कि उसके घर की दीवारें तुम्हारी तस्वीरों से भरी हों। भविष्य की उसकी यात्राओं में चिली का पराल शहर शामिल है, जहाँ तुम जन्मे। वह सैंटियागो की गलियों में इसलिए घूमना चाहता है, क्योंकि उसका महबूब कवि अपने अंतिम दिनों में यहाँ भटका था। वह उन दीवारों को कान लगाकर सुनना चाहता है, जहाँ तुमने अपनी प्रेमिका माटिल्डा का नाम पुकारा होगा।

हिंदी में विश्व कविता का विश्व

गत सौ वर्षों की हिंदी कविता पर अगर एक सरसरी तब्सिरा किया जाए और यह जाँचने-जानने का यत्न किया जाए कि हमारी हिंदी दूसरी भाषाओं में उपस्थित सृजन के प्रति कितनी खुली हुई है, तब यह तथ्य एक राह की तरह प्रकट होता है कि हिंदी का संसार अपनी सीमाओं और संसाधनों के स्थायी विलाप के बावजूद एक खुला हुआ संसार है; जिसमें अपनी शक्ति भर अपने समय में कहीं पर भी किसी भी भाषा में हो रहे उल्लेखनीय सृजन को अपनी सीमाओं और संसाधनों में ले आने की सदिच्छा है।

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