स्मृतियों का प्रतिफल आँसू है

लेखक को यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ प्रश्न सार्वभौमिक होते हैं, कुछ निजी और कुछ राष्ट्रीय। वह किसी भी प्रश्न से कतरा नहीं सकता। जब तक प्रश्न है, तभी तक साहित्य है।