एक किताब जो बहुत दूर तक ले जाती है

किताबें हर कोई पढ़ता है। क्यों? इसका सभी का अपना-अपना कारण होता है। मैं किताबें पढ़ता हूँ ताकि यात्रा कर सकूँ, शब्दों और जगहों के बारे में जान सकूँ, अलग-अलग तरह के परिवेश और पर्यावरण का हिस्सा बन सकूँ।

‘कोई भी कवि जन्म से ही कवि होता है’

कविता में हम तो वही विचार, वही अर्थ, वही भाव लिखते हैं जो हम लिखना चाहते हैं, जो हमारे मन में हैं, जो हमें उस वक़्त जकड़े हुए हैं? लेकिन यह बात सही नहीं है। कोई नादान कवि या पाठक ही ऐसी बात कर सकता है।

एक उपन्यास जो आज भी बेचैन कर देता है

मैंने क़रीब 17-18 साल की उम्र में जब पहली बार इस उपन्यास को पढ़ा था तो हर पन्ने को पलटते हुए एक अजीब-सी बेचैनी मन में उठती जाती थी। गोरखपुर की लाइब्रेरी में बहुत-सी पुरानी दुर्लभ किताबों का ज़ख़ीरा था, जिसमें रेनॉल्ड्स की ‘लंदन रहस्य’ सीरीज़ और मोरिये की ‘रेबेका’ का हिंदी अनुवाद भी मौजूद था।

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