‘जो मनुष्य से परे है, वह भी मनुष्य में शामिल है’

बिना सब कुछ के समाहार के, समावेश के, आप जीवन के एक कण को भी नहीं समझ सकते, सब कुछ मिलकर जीवन बनता है। यहाँ तक कि जो सजीव नहीं है, जैसे वज्र और इसके लिए योग के आसनों के जिन नामों का उपयोग किया गया है, वज्रासन, वह तो निर्जीव है; लेकिन कुछ भी निर्जीव नहीं है।