‘भाषा हमेशा नई होती रहती है’

अलका सरावगी हिंदी की अत्यंत प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं। वह साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित हैं। यह पुरस्कार उन्हें उनके पहले ही उपन्यास ‘कलि-कथा : वाया बाइपास’ के लिए साल 2001 में मिला। तब से अब तक हिंदी संसार उनके नए उपन्यासों का बेसब्री से इंतिज़ार करता है।