‘हिंदी के लेखक अलग-अलग क्षेत्रों के ड्रॉपआउट्स हैं’

उदय प्रकाश से संवाद एक मुश्किल काम है। उनकी शख़्सियत में ‘अनिश्चितता’ का अंडरटोन है। वह खुलते हैं तो बहुत सहज दिखते हैं, मगर कभी-कभी एक कठिन चुप्पी उन पर हावी हो जाती है।

‘सारी मानवीयता दाँव पर लगी है’

साक्षात्कार या संवाद के शिल्प में नहीं इस साक्षात्कार या संवाद की शुरुआत आज से क़रीब चार वर्ष पूर्व हुई। मुलाक़ातों और सवालों के सिलसिले इसमें जुड़ते और नए होते चले गए। सवालों के जवाब देने और उन्हें माँजने के लिए यहाँ पर्याप्त वक़्त लिया गया। प्रत्येक जवाब पर एक रचना की तरह कार्य किया गया है। यह प्रयास और धैर्य अपनी ओर से आ रहे शब्दों के प्रति एक रचनाकार की ज़िम्मेदारी और नैतिकता को दर्शाता है।

साहित्य और आधुनिकता

कुँवर नारायण के उद्धरण

ट्विटर फ़ीड

फ़ेसबुक फ़ीड