जो हमें प्यारा लगता है

नवीन सागर (1948-2000) हिंदी के अत्यंत महत्त्वपूर्ण कवि-कथाकार हैं। यहाँ प्रस्तुत पत्र उन्होंने अपने पुत्र अनिरुद्ध सागर को 28 अक्टूबर 1996 को भोपाल से लिखा था। अनिरुद्ध उन दिनों (1995-96) दिल्ली में सेरेमिक कलाकार पांडू रंगैया दरोज़ के पास बतौर प्रशिक्षु काम कर रहे थे। अनिरुद्ध अभी दिल्ली में ही रहते हैं और सिरेमिक माध्यम में ही काम कर रहे हैं।