कविता का आधुनिक रहस्य

यह अनुभूतियों का अनात्मवाद है। कोई कल्पनाशील व्यक्ति कैसे कह सकता है कि अनंत और विस्मय से घिरी हुई सब्ज़-ओ-शादाब पृथ्वी एक विराट वृक्ष नहीं है? कहना न होगा कि सृष्टि-वृक्ष की यह उदात्त कल्पना हमारी परंपरा में रही आई है।