उदास शहर की बातें
इन दिनों अजीब-सी बेरुख़ी है, मार्च महीने की हवा चुभ रही है। ख़ुद से लड़ाई बढ़ती चली जा रही है। जब लड़ाई ख़ुद से हो तो जीतने में कोई रस नहीं रहता, क्योंकि जो हार रहा होता है; उसमें भी हमारा होना बचा होता है।
By गौरव गुप्ता
मार्च 31, 2022