सृजनात्मकता के क्षितिज

रचनात्मक व बौद्धिक हस्तक्षेप के सहकारी उपक्रम ‘संगमन’ का 24वाँ संस्करण गत 12-13 नवंबर को चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) में आयोजित हुआ। इस बार का विषय रहा—‘सृजनात्मकता के क्षितिज’। दो दिनों में तीन सत्रों में संपन्न हुए इस आयोजन में 30 से अधिक लेखकों-कलाकारों की भागीदारी रही, जिन्हें रचनात्मक और बौद्धिक व्याकुलताओं से भरे श्रोताओं की भरपूर उपस्थिति ने बहुत ध्यान से सुना-समझा। संवाद के शिल्प में घटित ‘संगमन’ ने इस बार विषय, तकनीक से तालमेल और गरिमा के स्तर पर मौलिक, नए और अभूतपूर्व आयाम स्पर्श किए।

सात युवाओं का नज़रिया

नई पीढ़ी के लेखन से ही हिंदी साहित्य और समाज को नई ऊर्जा मिलेगी। उसे पता है कि बाजार के लिए लिखना बाज़ारू होना नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय युवा अपनी न केवल अपनी अस्मिता को लेकर सजग हैं, बल्कि अपनी ज़िम्मेदारी को भी बख़ूबी समझ रहे हैं। वे उन ख़तरों से भी गहरे वाक़िफ़ हैं जिनको खत्म किए बिना समाज लोकतांत्रिक और समावेशी नहीं हो सकता।

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