‘कोरी चील म्हारी काया पर छाया करै’

जाने कितने बरस पहले का दिन रहा होगा, जब सत्यजित राय ने बीकानेर के जूनागढ़ क़िले के सामने सूरसागर तालाब किनारे पीपल पेड़ के नीचे तंदूरा लिए उसे सुना था, जिसे आगे चल उन्होंने सोनी देवी के रूप में जाना। उसकी आवाज़ में क्या था, यह तो सिर्फ़ सत्यजित रे ही जानते थे। एक मरुस्थली आवाज़, जिसमें विकल आह्वान का गान अलग ही रूप में लगता था।

‘तकलीफ़ में गाने से ही सिद्धि मिलती है’

उत्तर प्रदेश में एक जगह है बनारस, जिसके इंचार्ज हैं—भगवान शंकर। यहाँ बनारस में भूत भावन भगवान भोलेनाथ ने अपना एक एग्जीक्यूटिव या कहें एक एजेंट छोड़ रखा है, नाम है—पंडित छन्नूलाल मिश्र।

बीथोवन के संगीत के लिए

यह वर्ष बीथोवन का 250वाँ वर्ष है। उनका जन्म दिसंबर 1770 में जर्मनी के बॉन शहर में हुआ था। अप्रैल 1800 में वियना की एक शाम जब बीथोवन अपनी पहली ‘सिम्फ़नी’ परफ़ॉर्म कर रहे थे, तब उनके सामने खड़ी दुनिया जैसे कोई अचंभा सुन रही थी।

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