हिंदी की पहली आदिवासी कवयित्री

हिंदी में उपस्थित स्त्री-कविता आजकल साहित्य-विमर्श के केंद्र में है। मेरे समीप इस करुणा कलित विमर्श में सुशीला सामद का नाम एक विकल रागिनी की भाँति बज रहा है। यह हाहाकार इस मायने में स्वाभाविक भी है कि सुशीला सामद एक छायावादी कवयित्री हैं, जिन्हें भारत की पहली हिंदी आदिवासी कवयित्री होने का गौरव प्राप्त है।