उनकी नज़र और उनकी कहन इस मंज़र में लासानी थी

इस मनहूस साल के आख़िरी सप्ताह में एक और मनहूस ख़बर—शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी (1935–2020) नहीं रहे। उनके भतीजे, दास्तानगो और फ़िल्म निर्देशक महमूद फ़ारूक़ी ने यह सूचना ट्विटर पर दी।

‘शुद्ध प्रेम सत्य की भाँति आदर्श है’

प्रेम की चरम-सीमा वहाँ है, जहाँ व्यक्ति तन्मय हो जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति प्रेम करता नहीं है, स्वयं प्रेम होता है।

बिल्लियों के नौ जीवन पाप से भरे हैं

लोक जब कुत्तों, गायों और घोड़ों को पालतू बना रहा था; तब बिल्लियाँ मनुष्य को पालतू बना रही थीं। कैट्स डोमेस्टिकेटेड ह्यूमन!

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