पुरुषों की दुनिया में स्त्री
मेरी समझ से हर पाठक की कविता से अपनी विशिष्ट अपेक्षाएँ होती हैं। ये अपेक्षाएँ कई बार बहुत मनोगत और अकथनीय भी हो सकती हैं। मैं आपकी तो नहीं कह सकता, लेकिन अपनी सुना सकता हूँ।
By आशीष मिश्र
जनवरी 7, 2021
मेरी समझ से हर पाठक की कविता से अपनी विशिष्ट अपेक्षाएँ होती हैं। ये अपेक्षाएँ कई बार बहुत मनोगत और अकथनीय भी हो सकती हैं। मैं आपकी तो नहीं कह सकता, लेकिन अपनी सुना सकता हूँ।
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।