‘लिखना ख़ुद को बचाए रखने की क़वायद भी है’
संतोष दीक्षित सुपरिचित कथाकार हैं। ‘बग़लगीर’ उनका नया उपन्यास है। इससे पहले ‘घर बदर’ शीर्षक से भी उनका एक उपन्यास चर्चित रहा। संतोष दीक्षित के पास एक महीन ह्यूमर है और एक तीक्ष्ण दृष्टि जो समय को बेधती है। इस नाते वह हिंदी के अनूठे लेखक ठहरते हैं। यह बातचीत ‘बग़लगीर’ के प्रकाशित होने के आस-पास संभव हुई।