कवि चंदबरदाई और उनका ‘पृथ्वीराज रासो’
इतिहास की तारीख़ के हिसाब से देखा जाए तो कवि चंदबरदाई को हिंदी का पहला कवि और उनकी रचना ‘पृथ्वीराज रासो’ को हिंदी की पहली रचना होने की इज़्ज़त बख़्शी गई है।
इतिहास की तारीख़ के हिसाब से देखा जाए तो कवि चंदबरदाई को हिंदी का पहला कवि और उनकी रचना ‘पृथ्वीराज रासो’ को हिंदी की पहली रचना होने की इज़्ज़त बख़्शी गई है।
अब्दुल रहमान के ‘संदेश रासक’ में 12वीं सदी के भारतीय जीवन की एक पूरी तस्वीर दिखती है। वह मुल्तान में पैदा हुए, फिर उत्तर भारत आ गए। अपने काव्य में वह अन्य हिंदुओं की तरह मुल्तान को ‘मलेच्छ देश’ कहते हैं, क्योंकि वहाँ मुसलमानों का क़ब्ज़ा बहुत पहले हो चुका था
हिंदी को हमेशा हिंदुस्तानियों से जोड़कर देखा गया है, जिसे बोलने वाले मुसलमान भी थे, हिंदू भी और पारसी भी। इस तरह देखें तो हिंदी का किसी दीन या मज़हब से कुछ लेना-देना नहीं था।
यह एक बहुत बड़ा भ्रम है कि हिंदी संस्कृत से निकली और उर्दू का जन्म फ़ारसी भाषा से हुआ। सच तो यह है कि ये दोनों ही ज़बानें बोलचाल की मक़ामी ज़ुबान से निकलीं और विकसित होती चली गईं। हिंदी वहाँ से शुरू हुई जहाँ से संस्कृत ख़त्म होती है।
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।