दिल्ली एक हृदयविदारक नगर है

असद ज़ैदी की कविताओं के बनने की प्रक्रिया एकतरफ़ा नहीं है। आप उसे जितनी बार पढ़ेंगे, वह आपके अंदर फिर से बनेगी और अपनी ही सामग्री में से हर बार कुछ नई चीज़ों की आपको याद दिलाएगी कि आप उन्हें अपने यहाँ खोजें—और वे आपके यहाँ पहले से मौजूद या तुरंत तैयार मिलेंगी।

‘हँसो पर चुटकुलों से बचो, उनमें शब्द हैं’

जो लोग इस भ्रम में पड़े रहते हैं कि वे सुरक्षित हैं क्योंकि वे किसी मान्यता का पक्ष नहीं ले रहे, किसी का विरोध नहीं कर रहे, उनका पक्ष-विपक्ष नहीं है और उनका कोई अपना विचार नहीं है, वे समृद्धि की कल्पना में खोए हुए हैं।

र. स. के लिए

हिंदी साहित्य में दिसम्बर र. स. का महीना है। र. स. यानी रघुवीर सहाय। वह 1929 में 9 दिसम्बर को जन्मे और 1990 में 30 दिसम्बर को नहीं रहे। आज अगर वह सदेह हमारे बीच होते तब नब्बे बरस से अधिक आयु के होते, लेकिन जैसा कि ज़ाहिर है तीस बरस पहले ही उनका देहांत हो गया।

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