‘क़र्ज़ किस-किस नज़र के हम पर हैं’

सुधांशु फ़िरदौस (जन्म : 1985) का वास्ता इस सदी में सामने आई हिंदी कविता की नई पीढ़ी से है। गत वर्ष उनकी कविताओं की पहली किताब ‘अधूरे स्वाँगों के दरमियान’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक पर एक आलेख ‘हिन्दवी ब्लॉग’ पर प्रकाशित हो चुका है। इसके साथ ही सुधांशु फ़िरदौस इसक-2021 के कवि भी हैं।

‘आलम किसू हकीम का बाँधा तिलिस्म है’

मैं इलाहाबाद, बनारस होते हुए दिल्ली पहुँचा; और मुझ तक पहुँचती रहीं कविताओं से भरी हुई हिंदी की छोटी-बड़ी अनगिनत पत्रिकाएँ। मैं हर जगह अपने वय के कवियों से जुड़ा रहा। बहुत से कवियों को उनकी पहली कविता से जानता हूँ। कई को उनके पहले सार्वजनिक पाठ से। कई कवियों की कविताओं के हर ड्राफ़्ट से वाक़िफ़ हूँ।

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