उत्साह में व्यवस्था की परवाह नहीं होती

जब कोई लेखक लिखता है कि ‘वह गली को पड़ोसी नहीं कह सकता’ तब स्पष्ट लगता है कि वह कविता का मुहावरा चुराकर बोल रहा है। जासूस आलोचक के लिए यहाँ काफ़ी मसाला है, वह कहानी के ऐसे मुहावरों की जासूसी करता हुआ असली अपराधी की खोज कर सकता है।

राजनीतिक हस्तक्षेप में उनका विश्वास था

फणीश्वरनाथ रेणु की विचारधारा उनकी भावधारा से बनी थी। उन्हें विचारों से अपने भावजगत की संरचना करने की विवशता नहीं थी। यही कारण था कि वह अमूर्त से सैद्धांतिक सवालों पर बहस नहीं करते थे। उनके विचारों का स्रोत कहीं बाहर—पुस्तकीय ज्ञान में—न था।

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