‘यह दिमाग़ों के कूड़ाघर में तब्दील किए जाने का समय है’
हमें यह उदास स्वीकार कर लेना चाहिए कि हम अँधेरे में लालटेनें हैं। हमसे रास्ते रोशन नहीं होते किसी और के, हम अपनी विपथगामिता पर चौकसी करते चौकीदार भर हैं।
By हिन्दवी
जनवरी 20, 2021