लोग सिर्फ़ दिल से ही अच्छी तरह देख सकते हैं
दोस्त को भूल जाना दुःख की बात है।
दोस्त को भूल जाना दुःख की बात है।
लोग भूल जाएँगे कि तुमने क्या कहा था, लोग भूल जाएँगे कि तुमने क्या किया था, लेकिन लोग कभी नहीं भूलेंगे कि तुमने उन्हें कैसा महसूस कराया था।
सभी जानते हैं कि दुनिया में बार-बार महामारियाँ फैलती रहती हैं, लेकिन जब नीले आसमान को फाड़कर कोई महामारी हमारे ही सिर पर आ टूटती है तब, न जाने क्यों, हमें उस पर विश्वास करने में कठिनाई होती है।
पहले मैं जिस आशय के अनुरचना-से कार्य को ‘पढ़ते-पढ़ते’ के किसी खाँचे में रखना चाहता था, उसे ‘पढ़ते-गढ़ते’ के खाँचे में रखा। यह मैंने ज्ञानेंद्रपति से लिया।
पिछले वर्ष नव वर्ष की पूर्वसंध्या पर पता नहीं किस मनःस्थिति में मैंने याद किया सुजान सौन्टैग को और कह दिया उनके हवाले से कि इस वर्ष संकल्प नहीं, प्रार्थनाएँ—करुणा, कृपा, नवाज़िश।
कवि के ज़ेहन में सवाल उठ सकता है कि किस कवि का स्वप्न? वेल, इट डिपेंड्स! इतनी धाराएँ हैं, कविता के इतने आंदोलन हुए।
मैंने क़रीब 17-18 साल की उम्र में जब पहली बार इस उपन्यास को पढ़ा था तो हर पन्ने को पलटते हुए एक अजीब-सी बेचैनी मन में उठती जाती थी। गोरखपुर की लाइब्रेरी में बहुत-सी पुरानी दुर्लभ किताबों का ज़ख़ीरा था, जिसमें रेनॉल्ड्स की ‘लंदन रहस्य’ सीरीज़ और मोरिये की ‘रेबेका’ का हिंदी अनुवाद भी मौजूद था।
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