विचारों में कितनी भी गिरावट हो, गद्य में तरावट होनी चाहिए

अच्छी कहानी वही है दोस्तों जिसके किरदार कुछ अप्रत्याशित काम कर जाएँ। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि नरेशन अच्छा हो तो झूठी कहानियों में भी जान फूँकी जा सकती है। यह भी कि अगर आपके पास कहानी है तो सबसे पहले कह डालिए।

किट्टू की कहानी

मुझे लगा था कि मुझे बग़ावत करनी होगी, जिसके लिए मैंने ख़ुद को तैयार भी कर लिया था। मैंने अपने दिमाग़ में कई आगामी बहसें जीत ली थीं। पर यह सब कुछ बस हो गया। क्या तुम्हारे साथ ऐसा हुआ है? जब तुम सोचो कि तुम्हें झुकना ही नहीं है, पर अचानक कोई लड़ाई ही न लड़नी पड़े।

याद करने की कोशिश करता हूँ तो याद आता है

चाहे जितने भी दिन हो, एक दिन सब ख़त्म हो जाते हैं। ख़त्म होने के सिवा उनके पास कोई और चारा भी तो नहीं होता। यह समय कभी रुकेगा? हो सकता है, कोई कहीं कल्पना करके थोड़ी देर के लिए ऐसा कर पाए। उस कल्पना के बाहर ऐसा होता हुआ नहीं लगता। सब इसी धरती के घूमने के बाद सुलझ जाता है। कहीं कोई प्रश्न, शंका कुछ भी आड़े नहीं आता। यह निरुत्तर होने और सब प्रश्नों के उत्तर मिलने जैसा वाक्य बन गया है।

अक्टूबर हर पेड़ का सपना है

वह पतझड़ का मौसम था। सारी पत्तियों ने उस पेड़ का साथ छोड़ दिया था। मुझे लगा मेरा मन उस पेड़ पर लगी कोई ताज़ा हरे रंग की पत्ती है, जिसके साथ का सपना पेड़ हर अक्टूबर में देखता है।

‘हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी’

यह स्कूल के दौरान की बात है। हमारे घर में ‘राजस्थान पत्रिका’ अख़बार आया करता था। तब तक मैंने शे’र-ओ-शायरी के नाम पर सस्ती और ग्रीटिंग कार्ड में लिखी जाने वाली शाइरी ही पढ़ी थी। उन्हीं दिनों ‘राजस्थान पत्रिका’ के साथ किसी परिशिष्ट के तौर शाइरी की एक बुकलेट आई। मुझे उसमें सबसे ज़्यादा पसंद एक ग़ज़ल आई। उस समय मालूम भी नहीं था कि उसे ग़ज़ल कहेंगे या नज़्म या कुछ और। उसके कुछ मिसरे मुझे याद रहे और शाइर का नाम याद रहा—निदा फ़ाज़ली।

यह जो ख़ाली जगह है

आज का दिन देर से शुरू हुआ। बेकार-सा दिन रहा। बोगस भी कह सकते हैं। आज काढ़ा सुबह नाश्ते से पहले नहीं पिया। मन थोड़ा आज अलग ही स्तर पर था। पेट सही नहीं लग रहा है। उसी के चलते दोनों ने दुपहर का भोजन भी नहीं किया। अंदर से ही इच्छा नहीं हुई। साढ़े बारह बजे दवाई खाई और साढ़े तीन बजे लेट गया। भाई पहले ही सोने के लिए तत्पर था। वह सो रहा था। काढ़ा सिर्फ़ एक बार पिया। शाम को लगभग छह बजे।

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